Saturday, May 31, 2025

लखनऊ: राजीव कृष्ण बने उत्तर प्रदेश के नए डीजीपी

 




DGP: उत्तर प्रदेश सरकार ने 1991 बैच के भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी राजीव कृष्ण को राज्य का नया पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) नियुक्त किया है। वह वर्तमान में उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड के अध्यक्ष और सतर्कता विभाग के महानिदेशक के पद पर कार्यरत थे। उनकी नियुक्ति की घोषणा शनिवार को की गई।

राजीव कृष्ण एक अनुभवी और तेज-तर्रार अधिकारी के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने अपने करियर में मथुरा, इटावा, और आगरा जैसे जिलों में पुलिस अधीक्षक (एसपी/एसएसपी) के रूप में सेवाएं दी हैं। इसके अलावा, वे सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में पांच साल तक इंस्पेक्टर जनरल (आईजी) के पद पर भी कार्य कर चुके हैं। उनकी यह नियुक्ति ऐसे समय में हुई है, जब पूर्व कार्यवाहक डीजीपी प्रशांत कुमार को सेवा विस्तार नहीं मिला।

सूत्रों के अनुसार, डीजीपी की नियुक्ति से पहले लखनऊ से दिल्ली तक गहन विचार-विमर्श हुआ। राजीव कृष्ण के साथ 1991 बैच के अन्य अधिकारियों, जैसे दलजीत चौधरी और आलोक शर्मा, के नाम भी चर्चा में थे, लेकिन अंततः राजीव कृष्ण को यह जिम्मेदारी सौंपी गई। उनकी नियुक्ति को उत्तर प्रदेश पुलिस के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, जो देश की सबसे बड़ी पुलिस फोर्स है।

राजीव कृष्ण की नियुक्ति के साथ ही उम्मीद की जा रही है कि वे राज्य में कानून-व्यवस्था को और मजबूत करेंगे और पुलिस व्यवस्था में पारदर्शिता और दक्षता लाएंगे।

 

Tuesday, May 27, 2025

गौरव गोगोई: असम कांग्रेस के नए प्रदेश अध्यक्ष और 2026 विधानसभा चुनाव में तुरुप का इक्का?

 



26 मई 2025 को कांग्रेस ने असम विधानसभा चुनाव से ठीक एक साल पहले एक बड़ा संगठनात्मक बदलाव करते हुए लोकसभा सांसद गौरव गोगोई को असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी (APCC) का अध्यक्ष नियुक्त किया। यह फैसला ऐसे समय में लिया गया है जब असम में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) और मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा के खिलाफ कांग्रेस को एक मजबूत चेहरे की जरूरत है। गौरव गोगोई, जो असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के पुत्र हैं, को पार्टी ने इस जिम्मेदारी के लिए चुना है, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या वे 2026 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए तुरुप का इक्का साबित होंगे? इस लेख में हम गौरव गोगोई की राजनीतिक यात्रा, उनकी नियुक्ति के महत्व, राहुल गांधी के साथ उनके संबंध, और हिमंता बिस्वा सरमा के मुकाबले उनकी स्थिति का विश्लेषण करेंगे।

गौरव गोगोई का राजनीतिक सफर और प्रोफाइल

गौरव गोगोई का जन्म 4 सितंबर 1982 को दिल्ली में हुआ था। उनके पिता तरुण गोगोई असम के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहे (2001-2016), जिन्होंने कांग्रेस को असम में मजबूत आधार प्रदान किया। गौरव ने शुरू में राजनीति से दूरी बनाए रखी और 2005 में दिल्ली स्थित एक एनजीओ ‘प्रवाह’ के लिए काम किया। 2013 में उन्होंने ब्रिटिश मूल की एलिजाबेथ कोलबर्न से शादी की और 2014 में कांग्रेस के टिकट पर कालियाबोर लोकसभा सीट से पहली बार चुनाव लड़ा। इस選挙 में उन्होंने BJP के मृणाल कुमार सैकिया को 93,000 से अधिक वोटों से हराकर शानदार जीत हासिल की।

2024 में गौरव ने जोरहाट लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और हिमंता बिस्वा सरमा की तमाम कोशिशों के बावजूद 1.5 लाख वोटों के अंतर से जीत दर्ज की। यह जीत उनकी राजनीतिक हैसियत को दर्शाती है, खासकर तब जब हिमंता ने अपनी पूरी कैबिनेट को गौरव के खिलाफ प्रचार में उतार दिया था।

 

वर्तमान में गौरव गोगोई लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता हैं और 2020 से इस पद पर कार्यरत हैं। उनकी राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत उपस्थिति और असम की राजनीति में गहरी जड़ें उन्हें एक प्रभावशाली नेता बनाती हैं।

 

क्यों खास हैं गौरव गोगोई असम कांग्रेस के लिए?

विरासत और लोकप्रियता:

गौरव गोगोई अपने पिता तरुण गोगोई की राजनीतिक विरासत के वारिस हैं। तरुण गोगोई ने 15 वर्षों तक असम में कांग्रेस की सरकार चलाई और विकास कार्यों के जरिए जनता के बीच मजबूत छवि बनाई। गौरव इस विरासत को आगे बढ़ाने की क्षमता रखते हैं। उनकी असमिया, हिंदी और अंग्रेजी भाषा पर पकड़ और संवाद कौशल उन्हें जनता से जोड़ने में मदद करता है।

 

राष्ट्रीय और स्थानीय स्तर पर प्रभाव:

गौरव गोगोई ने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई है। 2023 में मणिपुर हिंसा के मुद्दे पर उन्होंने केंद्र सरकार को संसद में घेरा और अविश्वास प्रस्ताव पर पहला भाषण दिया, जिससे उनकी छवि एक तेज-तर्रार नेता के रूप में उभरी। स्थानीय स्तर पर, जोरहाट और बेहाली उपचुनाव में उनकी जीत और प्रचार ने उनकी लोकप्रियता को और बढ़ाया।

 

युवा नेतृत्व और संगठनात्मक बदलाव:

42 वर्षीय गौरव गोगोई को युवा नेतृत्व के प्रतीक के रूप में देखा जा रहा है। उनके साथ तीन कार्यकारी अध्यक्षों—जाकिर हुसैन सिकदर (44), रोजलीना तिर्की (43), और प्रदीप सरकार (42)—की नियुक्ति से कांग्रेस ने युवा और ऊर्जावान नेतृत्व पर दांव लगाया है। यह असम में BJP के मजबूत संगठन का मुकाबला करने की रणनीति का हिस्सा है।

 

हिमंता बिस्वा सरमा के खिलाफ मजबूत विकल्प:

हिमंता बिस्वा सरमा, जो पहले तरुण गोगोई की कैबिनेट में थे, 2015 में BJP में शामिल हो गए और 2021 में मुख्यमंत्री बने। गौरव ने जोरहाट चुनाव में हिमंता को चुनौती दी और जीत हासिल की, जिससे उनकी सियासी ताकत का अंदाजा लगाया जा सकता है।

 

क्या गौरव गोगोई 2026 के चुनाव में तुरुप का इक्का साबित होंगे?

असम में 2026 का विधानसभा चुनाव कांग्रेस के लिए ‘करो या मरो’ की स्थिति है। 2016 और 2021 के चुनावों में BJP ने क्रमशः 86 और 60 सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस को 26 और 29 सीटें मिलीं। गौरव गोगोई की नियुक्ति को कांग्रेस की वापसी की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है। उनके पक्ष में कई बातें हैं:

जोरहाट की जीत का असर:

2024 के लोकसभा चुनाव में गौरव ने जोरहाट में BJP के गढ़ को तोड़ा। यह जीत न केवल उनकी व्यक्तिगत लोकप्रियता को दर्शाती है, बल्कि यह भी संकेत देती है कि वह हिमंता के प्रभाव को चुनौती दे सकते हैं।

 

राहुल गांधी का समर्थन:

गौरव गोगोई को राहुल गांधी का करीबी माना जाता है। उनकी नियुक्ति में राहुल की भूमिका स्पष्ट है, और वह उनकी संसदीय टीम का हिस्सा हैं। राहुल के नेतृत्व में गौरव ने संसद में केंद्र सरकार पर कई मुद्दों पर हमला बोला है, जिससे उनकी राष्ट्रीय छवि मजबूत हुई है।

 

संगठन को मजबूत करने की रणनीति:

गौरव की नियुक्ति के साथ कांग्रेस ने संगठन में बदलाव किए हैं। रिपुन बोरा को चुनाव प्रबंधन समिति का अध्यक्ष बनाया गया है, और तीन युवा कार्यकारी अध्यक्षों की नियुक्ति से पार्टी ने क्षेत्रीय और सामाजिक संतुलन साधने की कोशिश की है। यह रणनीति ग्रामीण और शहरी मतदाताओं को एकजुट करने में मदद कर सकती है।

 

हालांकि, चुनौतियां भी कम नहीं हैं:

BJP का मजबूत संगठन: BJP के पास हिमंता बिस्वा सरमा और RSS का मजबूत संगठनात्मक समर्थन है। 2021 के चुनाव में BJP ने 60 सीटें जीतीं, जो कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती है।

 

विवादों का सामना: गौरव की पत्नी एलिजाबेथ कोलबर्न पर हिमंता ने ISI से संबंध और पाकिस्तान दौरे के आरोप लगाए हैं। हालांकि गौरव ने इन्हें ‘हास्यास्पद और निराधार’ बताया, लेकिन यह विवाद उनकी छवि को प्रभावित कर सकता है।

 

स्थानीय पकड़ की कमी: कुछ विश्लेषकों का मानना है कि गौरव की अपने पिता जितनी मजबूत स्थानीय पकड़ नहीं है।

 

राहुल गांधी के कितने करीबी हैं गौरव गोगोई?

गौरव गोगोई को राहुल गांधी का विश्वासपात्र माना जाता है। 2020 में उन्हें लोकसभा में कांग्रेस का उपनेता बनाया गया, और 2024 में वह राहुल की संसदीय टीम का हिस्सा बने। मणिपुर हिंसा और अविश्वास प्रस्ताव जैसे मुद्दों पर गौरव ने राहुल के नेतृत्व में केंद्र सरकार को घेरा। उनकी नई नियुक्ति में राहुल की रणनीति साफ दिखती है, जो असम में एक मजबूत और युवा चेहरा चाहते हैं।

राहुल गांधी ने हाल के वर्षों में कांग्रेस को पुनर्जनन की दिशा में ले जाने की कोशिश की है। गौरव की नियुक्ति इस रणनीति का हिस्सा है, क्योंकि वह युवा, शिक्षित, और राष्ट्रीय-स्थानीय दोनों स्तरों पर प्रभावी हैं। असम में गौरव को सीएम चेहरा बनाने की मांग भी पार्टी के 20 नेताओं ने उठाई थी, जो उनकी लोकप्रियता और राहुल के भरोसे को दर्शाता है।

 

हिमंता बिस्वा सरमा के मुकाबले गौरव गोगोई

हिमंता बिस्वा सरमा और गौरव गोगोई के बीच सियासी टकराव पुराना है। हिमंता, जो कभी तरुण गोगोई की कैबिनेट में थे, 2014 में गौरव के लोकसभा चुनाव में उतरने से नाराज थे, क्योंकि उन्हें लगता था कि यह उनकी सीएम बनने की संभावनाओं को कम करता है। 2015 में हिमंता BJP में शामिल हो गए और 2021 में मुख्यमंत्री बने।

 

राजनीतिक अनुभव:

हिमंता का अनुभव गौरव से ज्यादा है। वह 2001 से राजनीति में सक्रिय हैं और 2016 में BJP को सत्ता में लाने में उनकी भूमिका अहम थी। गौरव 2014 से सक्रिय हैं, लेकिन उनकी राष्ट्रीय स्तर पर छवि और युवा अपील उन्हें मजबूत बनाती है।

 

लोकप्रियता और संगठन:

हिमंता ने BJP के संगठन और RSS के समर्थन से असम में मजबूत आधार बनाया है। दूसरी ओर, गौरव को अपने पिता की विरासत और कांग्रेस के पारंपरिक वोट बैंक का समर्थन है, लेकिन संगठनात्मक कमजोरी उनकी चुनौती है।

 

विवादों का प्रभाव:

हिमंता ने गौरव की पत्नी पर ISI से संबंध के आरोप लगाकर विवाद खड़ा किया है। गौरव ने इन आरोपों को खारिज करते हुए हिमंता की मानसिक स्थिति पर सवाल उठाए। यह विवाद 2026 के चुनाव में गौरव की छवि को प्रभावित कर सकता है।

 

चुनावी प्रदर्शन:

जोरहाट में गौरव की जीत और बेहाली उपचुनाव में उनके प्रचार ने दिखाया कि वह हिमंता को टक्कर दे सकते हैं। हालांकि, हिमंता की विकास योजनाएं और BJP का मजबूत संगठन गौरव के लिए चुनौती हैं।

 

निष्कर्ष

गौरव गोगोई की असम कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति पार्टी के लिए एक रणनीतिक कदम है। उनकी युवा छवि, तरुण गोगोई की विरासत, और राहुल गांधी का समर्थन उन्हें 2026 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए तुरुप का इक्का बना सकता है। जोरहाट में उनकी जीत और राष्ट्रीय स्तर पर सक्रियता उनकी ताकत हैं, लेकिन हिमंता बिस्वा सरमा और BJP का मजबूत संगठन उनकी सबसे बड़ी चुनौती है। गौरव को असम की जनता का विश्वास जीतने और संगठन को मजबूत करने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी। अगर वह विवादों से बचते हुए जनता से जुड़ने में सफल होते हैं, तो वे निश्चित रूप से कांग्रेस को असम में नई ऊर्जा दे सकते हैं।

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